राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। हमें आहार के माध्यम से कई प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। अंगों को स्वस्थ रखने और शरीर को बेहतर ढंग से काम करते रखने में मदद करने के लिए ये पोषक तत्व विशेष भूमिका निभाते हैं। वहीं इन पोषक तत्वों में कमी आपको गंभीर समस्याओं का शिकार भी बना सकती है। अध्ययनों में विटामिन-डी को शरीर के लिए अति आवश्यक माना गया है, इसमें होने वाली कमी के कारण न सिर्फ हड्डियां कमजोर हो जाती हैं साथ ही यह न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का भी कारण बन सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी आयु के लोगों को आहार के माध्यम से इस विटामिन की पूर्ति पर विशेष ध्यान देना चाहिए। विटामिन-डी के लिए सूर्य के प्रकाश को प्रमुख स्रोत माना जाता है हालांकि जिस तरह से लोगों में सेंडेंटरी लाइफस्टाइल की समस्या बढ़ रही है और लोगों का सूर्य से संपर्क कम हो पा रहा है ऐसे में ज्यादातर लोग विटामिन-डी की कमी की शिकायत के साथ आ रहे हैं।
विटामिन की बनी रहने वाली कमी प्रतिरक्षा प्रणाली और हड्डियों में कमजोरी के साथ-साथ मस्तिष्क से संबंधित समस्याओं के जोखिम को भी बढ़ा सकती है, आइए इस बारे में विस्तार से समझते हैं। जिन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, विटामिन-डी उनमें से एक है। यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को स्वस्थ बनाने के साथ इसके कार्य करने की क्षमता को बढ़ावा देने में भी सहायक है। ऐसे में जिन लोगों में विटामिन-डी की कमी हो जाती है उनमें न्यूरोलॉजिकल रोगों और न्यूरोसाइकोलॉजिकल विकारों के साथ संज्ञानात्मक हानि का खतरा हो सकता है। ऐसे लोगों के मस्तिष्क का सामान्य कामकाज प्रभावित हो जाता है। दवाओं और सप्लीमेंट्स की व्यापक उपलब्धता के बावजूद कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें विटामिन-डी की कमी का खतरा अधिक होता है। जिन लोगों को आंतों की समस्या जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस, क्रोहन डिजीज जैसी दिक्कतें होती हैं उनमें अक्सर विटामिन डी की कमी देखी जाती है। इसके अलावा मोटे लोगों में भी इसका स्तर कम हो सकता है। इसके अलावा जो लोग लैक्टोज इंटॉलरेंट होते हैं उनमें भी इस विटामिन की कमी हो सकती है।