राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। अमेरिका और ब्रिटेन ने एक बार फिर से यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हमले किए हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, शनिवार को हुए हमले में हूतियों के 18 ठिकानों को निशाना बनाया गया है। इनमें अंडरग्राउंड वेपन, मिसाइल फैसेलिटी, एयर डिफेंस सिस्टम, हेलिकॉप्टर और रडार सिस्टम शामिल थे।
अमेरिका-ब्रिटेन की तरफ से हूतियों पर यह चौथा हमला था। इस अटैक में दोनों देशों को ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा, डेनमार्क, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड का भी साथ मिला है। हमले यमन में 8 जगहों पर किए गए।
अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा- हमलों का मकसद ईरानी समर्थित हूती विद्रोहियों की क्षमताओं को कमजोर करना था। हूतियों के हमलों की वजह से मिडिल ईस्ट देशों की आर्थिक स्थिति, पर्यावरण और यमन जैसे देशों में मानवीय सहायता पहुंचाने में सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। हम हूतियों को यह बताना चाहते हैं कि अगर वो हमले रोकेंगे नहीं तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
वहीं हूतियों के प्रमुख मीडिया हाउस अल मसीराह ने कहा- अमरेका-ब्रिटेन ने यमन की राजधानी सना में कई हमले किए हैं। वो गाजा में रह रहे फिलिस्तीनियों के समर्थन में चल रहे हमारे ऑपरेशन को रोकना चाहते हैं। लेकिन उनका मकसद पूरा नहीं होगा।
इससे पहले अमेरिका और ब्रिटेन अब तक 3 बार यमन में हूतियों पर हमले कर चुके हैं। पहला हमला 3 फरवरी को देर रात किया गया था। इस दौरान 36 ठिकानों को निशाना बनाया गया था। इनमें हथियार रखने की जगह, मिसाइल, एयर डिफेंस सिस्टम और रडार से जुड़ी साइट्स शामिल थी।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, यमन में किए गए हमलों में अमेरिका और ब्रिटेन की सेना के साथ ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा और नीदरलैंड्स की सेनाएं भी थीं। यमन में यह अटैक विमानों, जहाजों और एक पनडुब्बी के जरिए यमन की राजधानी सना, सदा और धमार शहरों के साथ-साथ होदेइदाह प्रांत में किए गए थे।