उत्तर प्रदेश राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि | प्रदेश में कोरोना का कहर बढ़ता ही जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक के जिलों में हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं। मरीजों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे। जिन्हें मिल रहे हैं वे ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहे हैं। राज्य के लगभग हर अस्पताल में बड़ी संख्या में वेंटिलेटर का संकट है। हम आपको प्रदेश के 6 शहरों का LIVE रिपोर्ट देने जा रहे हैं…1. वाराणसी : मोदी के संसदीय क्षेत्र में सड़कों पर दम तोड़ रहे मरीजप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी है। यहां हालात ये हैं कि सभी अस्पताल कोरोना मरीजों से भर गए हैं। अब नए मरीजों को आसानी से बेड मिलना मुश्किल हो गया है। अस्पतालों में बेड के साथ वेंटिलेटर और ऑक्सीजन का संकट भी गहराता जा रहा है।लोग दवाइयों के लिए भी भटक रहे हैं। सरकारी आंकड़ों में यहां कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या हर दिन 10 से 20 होती है, लेकिन इससे उलट श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में लाशों की लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं। घाट पर अंतिम संस्कार कराने के लिए वेटिंग लिस्ट तैयार हो रही है। शहर के अंदर के कब्रिस्तान भी फुल हो चुके हैं। अब लोग शहर के बाहरी इलाकों में शवों को दफन कर रहे हैं।
मनमोहन सिंह का दिसंबर 2004 में दिया बयान पॉलिसी बना और उसके बाद कभी भी राष्ट्रीय आपदा के समय विदेशी सहायता नहीं ली गई। कोरोना की दूसरी लहर से निपटने में जरूर मोदी सरकार की विदेश पॉलिसी में तीन बड़े बदलाव हुए हैं।
अस्पताल की चौखटों पर ही दम तोड़ रहे मरीज
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जिला गोरखपुर भी नहीं संभल सका। यहां हर दिन अस्पतालों की चौखटों पर बेड मिलने के इंतजार में मरीज दम तोड़ रहे हैं। जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए कुल 1,500 बेड हैं, जिनमें से रोजाना करीब 15 बेड खाली होते हैं। जबकि, भर्ती होने वालों की लिस्ट लंबी होती है। इनमें से करीब 10% मरीजों को वेंटिलेटर वाले बेड की भी जरूरत है, लेकिन वह भी नहीं मिलते। सरकारी आंकड़ों में भले ही मरने वालों की संख्या कम होती है, लेकिन श्मशान घाट और कब्रिस्तानों में दिन-रात अंतिम संस्कार चल रहे हैं।