राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। युवाओं में नौकरी, पारिवारिक चिंता, आर्थिक स्थिति के कारण तनाव, अवसाद, बढ़ता जा रही है। कई मामलों में समाधान नहीं मिलने के कारण वे आत्महत्या के लिए प्रेरित हो रहे हैं। शहर में हर वर्ष सैकड़ों लोग इसी के चलते आत्महत्या कर रहे हैं। इसका एक कारण यह भी है कि इनके मनोरोग को परिवार के सदस्य ही नहीं समझते हैं। हाल ही में इंदौर में एक युवती ने 16वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। युवती सोमेटाइजेशन से पीड़ित थी। ऐसे कई लोग हैं, खासकर युवा जो सोमेटाइजेशन से पीड़ित हैं। उन्हें समय पर इलाज उपलब्ध करवाकर बचाया जा सकता है। सरकार द्वारा मनोरोग के लिए संचालित टेलिमानस हेल्पलाइन में मार्च में 1700 से अधिक लोगों ने काउंसलिंग ली। इसमें सबसे अधिक फोन नींद न आने की शिकायत को लेकर आए, वहीं मनोदशा की उदासी को लेकर काफी फोन आ रहे हैं। इसमें यह बता रहे हैं कि वे खुश नहीं है। उन्हें ऐसा लग रहा है कि समझने वाला भी कोई नहीं है। नींद नहीं आना, मनोदशा की उदासी, दिनभर तनाव महसूस होना, गतिविधियों में रुचि कम होना, थकान होना, घबराहट, पसीना, झटके आना, पढ़ाई संबंधित तनाव, विचित्र व्यवहार, निराशा, मजबूरी महसूस होना, बार-बार हस्तक्षेप से परेशान, किसी स्थिति में डर महसूस होना, बिना कारण के शरीर में दर्द होना। रिश्तों से जुड़ी समस्या, एकाग्रता की कमी, ऐसी चीजें देखना जो नहीं हैं, शराब, धूम्रपान का अधिक सेवन, अत्यधिक प्रसन्नता या चिड़चिड़ापन, फाइनेंसियल समस्याए होती है एक माह में टेलिमानस हेल्पलाइन पर 1700 से अधिक लोगों की काउंसलिंग की गई। इसमें सबसे अधिक 267 लोगों ने नींद से संबंधित समस्या बताई गई। 115 लोगों ने बताया कि उन्हें दिनभर तनाव महसूस होता है।