भारतीयों की कैलाश-मानसरोवर यात्रा से डरा चीन! बढ़ा दी फीस
राष्ट्र आजकल /प्रतिनिधि
तीन साल बंद रही कैलाश-मानसरोवर यात्रा के लिए चीन ने वीसा देने शुरू कर दिए हैं। लेकिन, इसके नियम बेहद कड़े कर दिए हैं। साथ ही यात्रा पर लगने वाले कई तरह की फीस लगभग दोगुनी कर दी है। अब भारतीय नागरिकों को यात्रा के लिए कम से कम 1.85 लाख रुपए खर्च करने होंगे।अगर तीर्थयात्री अपनी मदद के लिए नेपाल से किसी वर्कर या हेल्पर को साथ रखेगा तो 300 डॉलर, यानी 24 हजार रु. अतिरिक्त चुकाने होंगे। इस शुल्क को ‘ग्रास डैमेजिंग फी’ कहा गया है।
चीन का तर्क है कि यात्रा के दौरान कैलाश पर्वत के आसपास की घास को नुकसान पहुंचता है, जिसकी भरपाई यात्री से ही की जाएगी।चीन ने कुछ ऐसे नियम जोड़े हैं, जिनसे प्रोसेस कठिन हो गई है। जैसे- अब हर यात्री को काठमांडू बेस पर ही अपना यूनीक आइडेंटिफेशन कराना होगा। इसके लिए फिंगर मार्क्स और आंखों की पुतलियों की स्कैनिंग होगी। नेपाली टूर ऑपरेटरों का कहना है कि कठिन नियम विदेशी तीर्थयात्रियों विशेषकर भारतीयों के प्रवेश को सीमित करने के लिए बनाए गए हैं।
नेपाल के लिए बड़ा बिजनेस है कैलाश यात्राकैलाश मानसरोवर यात्रा नेपाली टूर ऑपरेटरों के लिए बड़ा बिजनेस है। नए नियमों और बढ़े हुए शुल्क के साथ टूर ऑपरेटर अब रोड ट्रिप के कम से कम 1.85 लाख रुपए प्रति यात्री वसूल रहे हैं, जबकि 2019 में सड़क यात्रा पैकेज 90 हजार रुपए था। यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन 1 मई से शुरू हो चुका है। अक्टूबर तक चलने वाली यात्रा के बारे में टूर ऑपरेटरों का कहना है कि नए नियमों के कारण इस बार लोगों का रुझान भी कम दिखाई दे रहा है।• तीर्थयात्रियों को वीसा लेने के लिए शारीरिक रूप से उपस्थित होना पड़ेगा। ऑनलाइन आवेदन स्वीकार नहीं होगा। यानी, यात्री को पहले चीनी दूतावास के चक्कर काटने पड़ेंगे। उसके बाद काठमांडू या दूसरे बेस कैंप पर बायोमीट्रिक पहचान प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा।• वीसा पाने के लिए अब कम से कम 5 लोगों का समूह होना जरूरी है। इसमें से चार लोगों को अनिवार्य तौर पर वीसा के लिए खुद पहुंचना होगा।• तिब्बत में प्रवेश करने वाले नेपाली श्रमिकों को ग्रास डैमेजिंग फी’ के रूप में 300 डॉलर देने होंगे। आखिर यह खर्च तीर्थयात्री को ही वहन करना होगा। क्योंकि, यात्री ही गाइड, हेल्पर, कुली या रसोइए के रूप में वर्कर लेकर तिब्बत में प्रवेश करते हैं।• किसी वर्कर को साथ रखने के लिए 15 दिनों की 13,000 रु. प्रवास फीस भी ली जाएगी। पहले यह सिर्फ 4,200 रु. थी।• यात्रा संचालित करने वाली नेपाली फर्मों को 60,000 डॉलर चीनी सरकार के पास जमा कराने होंगे। इसमें समस्या यह है कि नेपाली ट्रैवल एजेंसियों को विदेशी बैंकों में धन जमा करने की अनुमति नहीं है। ऐसे में यह फीस कैसे ट्रांसफर होगी, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।