स्कूलों में शिक्षकों के पद पहले से ही खाली हैं। अब व्याख्याताओं को हाईस्कूल का प्राचार्य बनाने की तैयारी की जा रही है। डीपीआई ने एक हजार व्याख्याताओं की सूची तैयार की है, जिन्हें वरिष्ठता के आधार पर हाईस्कूल प्राचार्य बनाया जाएगा।
हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल प्रभारी प्राचार्य के भरोसे चल रहे हैं। शिक्षकों की कमी के कारण इस बार भोपाल जिले का दसवीं और बारहवीं का रिजल्ट भी प्रभावित हुआ है। राजधानी में 131 हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूल हैं। वहीं हाईस्कूल के प्राचार्य को हायर सेकंडरी का प्राचार्य बनाया जाएगा। राजधानी के दो दर्जन से अधिक ऐसे सरकारी स्कूल हैं, जिनमें प्राचार्य नहीं हैं। इनमें व्याख्याताओं को प्रभारी प्राचार्य बनाया गया है। नई शिक्षा नीति आने से स्कूलों में शिक्षकों व प्राचार्यों की कमी को पूरा किया जाएगा।
वहीं करीब 200 प्राचार्य राजधानी के विभिन्ना कार्यालयों में पदस्थ हैं। प्रदेश में चार हजार सरकारी स्कूल प्रभारी प्राचार्य के भरोसे चल रहे हैं। इन स्कूलों में दो साल से प्राचार्य के पद खाली हैं। हाल में लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) ने एक हजार व्याख्याताओं की सूची तैयार की है, जिन्हें हाईस्कूल प्राचार्य बनाया जाएगा।
वहीं हाईस्कूल प्राचार्य को वरिष्ठता के आधार पर हायर सेकंडरी का प्राचार्य बनाया जाएगा। जिन स्कूलों में व्याख्याताओं को प्राचार्य का प्रभार दिया जाता है। वे केवल स्कूल के प्रबंधन में ही व्यस्त रहते हैं। इससे शिक्षण व्यवस्था प्रभावित होती है। ऐसे में विभाग ने कई साल से विभागीय पदोन्नति नहीं की, जिससे स्कूलों में प्राचार्य के पद खाली हैं।
डीपीआई ने 2015 में प्राचार्य के 1120 पदों के लिए सूची जारी की थी, लेकिन इनमें से 321 लोगों की नियुक्ति हुई। इसमें 799 पद खाली रह गए। इसी तरह विभाग ने 1200 पदों की सूची जारी की, जिसमें से 748 पद खाली रह गए।