राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि । आज वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम के नए परिसर का लोकार्पण हो रहा है। PM मोदी ने मंदिर में मंत्रोच्चार के साथ पूजा-पाठ की और मंदिर के निर्माण में शामिल मजदूरों पर पुष्प वर्षा कर सम्मानित किया और उनके साथ सीढ़ी पर बैठ फोटो भी खिंचाई। PM मोदी ने यहां धर्माचार्यों और विशिष्टजनों से संवाद किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने नए बने काशी विश्वनाथ कॉरीडोर का लोकार्पण किया। इसका शुभ मूहूर्त रेवती नक्षत्र में दोपहर 1.37 बजे से 1.57 बजे तक 20 मिनट का था। मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत बाबा विश्वनाथ को प्रणाम करने के साथ की।
काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘मेरे प्यारे काशीवासियों और देश-विदेश से इस अवसर के साक्षी बन रहे सभी श्रद्धालुजन। बाबा विश्वनाथ के चरणों में हम शीश नवावत हैं। माता अन्नपूर्णा के चरणन के बार-बार वंदन करत हैं। अभी मैं बाबा के साथ-साथ नगर कोतवाल काल भैरव जी के दर्शन करके आ रहा हूं। देशवासियों के लिए उनका आशीर्वाद लेकर आ रहा हूं। काशी में कुछ भी खास हो, कुछ भी नया हो तो सबसे पहले उनसे पूछना आवश्यक है। मैं काशी के कोतवाल के चरणों में भी प्रणाम करता हूं।’
मोदी ने कहा, ‘हम बाबा विश्वनाथ दरबार से देश-दुनिया के उन श्रद्धालु जनन के प्रणाम करत हैं, जो इस अवसर के साक्षी बनत हन। काशीवासियन का प्रणाम जिनके सहयोग से ई घड़ी आयल है। आप सब लोगन के बहुत-बहुत बधाई हौ। जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है, सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है। एक अलौकिक ऊर्जा हमारी अंतरआत्मा को जाग्रत कर देती है। आपको इस चिरचैतन्य काशी की चेतना में अलग ही स्पंदन है। एक अलग आभा है। आज बनारस के संकल्पों में अलग ही सामर्थ्य दिख रहा है।’
मोदी ने कहा, ‘शास्त्रों में सुना है, जब भी कोई शुभ अवसर होता है तो सारी दैवीय शक्तियां बनारस में बाबा के पास उपस्थित हो जाती हैं। कुछ ऐसा ही अनुभव आज मुझे बाबा के दरबार में आकर हो रहा है। ऐसा लग रहा है कि हमारा पूरा चैतन्य ब्रह्मांड इससे जुड़ा है। वैसे अपनी माया का विस्तार बाबा ही जाने। जहां तक मानवीय दृष्टि जाती है। विश्वनाथ धाम को समय पर पूरा करने से पूरा विश्व जुड़ा है। आज भगवान शिव का प्रिय दिन सोमवार है। विक्रम संवत 2078, दशमी तिथि एक नया इतिहास रच रही है।’
मोदी ने कहा, ‘आज विश्वनाथ धाम अकल्पनीय और अनंत ऊर्जा से भरा हुआ है। उसका वैभव विस्तार ले रहा है। इसकी विशेषता आसमान छू रही है। यहां आसपास जो अनेक प्राचीन मंदिर लुप्त हो गए थे, उन्हें भी पुनस्थापित किया जा चुका है। बाबा अपने भक्तों की सदियों की सेवा से प्रसन्न हुए हैं इसलिए उन्होंने आज के दिन का हमें आशीर्वाद दिया है। विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है, ये हमारी सनातन संस्कृति, अध्यात्मिक ऊर्जा, गतिशीलता, परंपराओं का प्रतीक है। आपको यहां केवल आस्था के दर्शन नहीं होंगे, आपको अतीत के गौरव का अहसास भी होगा। प्राचीनता और नवीनता एकसाथ सजीव हो रही है। पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य को दिशा दे रही हैं, इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में हम कर रहे हैं।’