राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि । ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस पर वाराणसी कोर्ट में कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग को लेकर सुनवाई टल गई है। अब 11 अक्टूबर को सुनवाई होगी। जिला जज डॉ. एके विश्वेश की कोर्ट ने कहा कि वादिनी 5 महिलाएं एकमत होकर बताएं कि ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की किस वैज्ञानिक पद्धति से जांच हो।
इस पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने आपत्ति दाखिल की है। कमेटी ने कहा कि हमें वादी पक्ष की मांग पर आपत्ति है। उसके लिए हमें समय दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि मसाजिद कमेटी का पक्ष 11 अक्टूबर को सुना जाएगा।
इसके अलावा कोर्ट ने वादी हिंदू पक्ष से दो बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है। पहला, क्या कथित शिवलिंग की संरचना इस मुकदमे की संपत्ति का हिस्सा है या नहीं है? दूसरा, क्या कोर्ट वैज्ञानिक जांच के लिए आयोग जारी कर सकता है?
गौरतलब है कि कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग को लेकर को लेकर मुकदमा दाखिल करने वाली हिंदू पक्ष की महिलाएं ही दो धड़ों में बंटी हैं। वादिनी चार महिलाएं कथित शिवलिंग की जांच चाहती हैं और एक महिला किसी तरह की जांच नहीं चाहती हैं। राखी सिंह का कहना है कि शिवलिंग मिला है, उसकी कार्बन डेटिंग की जांच से वह खंडित हो जाएगा।
मां श्रृंगार गौरी के केस की सुनवाई की पिछली डेट 29 सितंबर थी। उस दिन वादिनी सीता साहू, लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक और मंजू व्यास की ओर से कोर्ट में एडवोकेट हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने पक्ष रखा था।
दोनों अधिवक्ताओं ने कहा था कि “ज्ञानवापी परिसर में जो शिवलिंग मिला है, उससे किसी तरह से छेड़छाड़ न की जाए। मगर, कार्बन डेटिंग या किसी अन्य वैज्ञानिक पद्धति से साक्ष्य के मद्देनजर ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) द्वारा यह पता लगाया जाना बहुत जरूरी है कि ज्ञानवापी मस्जिद में मिला शिवलिंग कितना पुराना है। शिवलिंग के अरघे और उसके आस-पास के एरिया की जांच भी जरूरी है।”
वहीं, राखी सिंह के एडवोकेट मान बहादुर सिंह ने जांच पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि ”जो शिवलिंग मिला है, उसकी कार्बन डेटिंग से वह खंडित हो जाएगा। हमारे सनातन हिंदू धर्म में खंडित मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है। इसलिए शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कतई न कराई जाए।” सभी पक्षों को सुनने के बाद जिला जज की कोर्ट ने सुनवाई की अगली डेट 7 अक्टूबर फिक्स की थी।