राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि मुरैना।जाति प्रमाण पत्र को लेकर मुरैना जिला न्यायालय में 20 महीने से चल रहे मामले में महापौर शारदा सोलंकी को राहत मिली है। उनके खिलाफ लगी याचिका को कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद महापौर ने इसे सच्चाई की जीत बताया, वहीं उनके खिलाफ याचिका लगाने वाली भाजपा नेत्री मीना मुकेश जाटव ने जिला न्यायालय के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही है। साल 2022 में हुए नगरीय निकाय चुनाव में महापौर शारदा सोलंकी के खिलाफ भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं मीना मुकेश जाटव ने काेर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें उन्हाेंने कहा था कि शारदा साेलंकी उप्र की मूल निवासी हैं, उनका जाति प्रमाण पत्र भी उप्र का है और उस जाति प्रमाण पत्र से मप्र में आरक्षण से चुनाव नहीं लड़ सकते। मीना जाटव ने अपनी याचिका में बताया था, कि महापौर शारदा सोलंकी का मायका उप्र के आगरा जिले की बाह तहसील के पिनाहट-रघुनाथपुरा में हैं, जहां 1 जनवरी 1968 में इनका जन्म हुआ और पिता वासुदेव के नाम से अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बना। उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए 2004 में शारदा सोलंकी ने पति राजेंद्र सोलंकी के नाम से जाति प्रमाण पत्र बनवा लिया, जबकि जाति प्रमाण पत्र पिता के नाम से ही बनता है। नगरीय निकाय चुनाव के एक महीने बाद अगस्त 2020 में मीना मुकेश जाटव ने जाति प्रमाण पत्र को जिला कोर्ट में चुनौती दे दी, इसके बाद मामले को लेकर शारदा सोलंकी हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक गईं, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिल सकी है।महापौर के वकील संजय मिश्रा ने बताया, कि इसी मामले में गुरुवार को अष्ठम सत्र न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए मीना जाटव की याचिका को खारिज कर दिया। मीना जाटव व उनके वकील यह साबित नहीं कर पाए, कि महापौर उप्र की निवासी हैं और उनका जाति प्रमाण पत्र गलत है। इसीलिए कोर्ट ने महापौर के पक्ष में फैसला सुनाया।