नगर निगम ने शहर की सड़कों के गड्ढों को ढांकने का काम शुरू कर दिया, अब तक आठ करोड़ रुपये ठिकाने लगा चुकी, फिर भी नहीं सुधरी सदके

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राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि, ग्वालियर | नगर निगम ने शहर की सड़कों के गड्ढों को ढांकने का काम शुरू कर दिया है। डामर की सड़कों पर मुरम-गिट्टी का लेप लगाया जा रहा है, इससे गड्ढे भरे तो गए पर परेशानी बढ़ा गए। गड्ढों में भरी जाने वाली गिट्टी और मुरम वाहनों के गुजरने से सड़क पर फैल रही है और हवा में धूल का गुबार बना रही है। इससे परेशानी दो पहिया वाहन चालक और राहगीरों को सबसे अधिक हो रही है। लेकिन नगर निगम अफसरों को इससे कोई मतलब नहीं है क्योंकि निगम के सड़क मरम्मत के लिए जो थोड़ा बहुत ही बजट बचा है उसे ठिकाने की कवायद शुरू हो चुकी है। गौरतलब है कि नगर निगम शहर की टूटी सड़कों के संधारण के नाम पर अब तक आठ करोड़ रुपये ठिकाने लगा चुकी है, लेकिन गड्ढे हैं कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। टूटी सड़कों से शहर में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। टूटी सड़कों पर नगर निगम ने दिखावे की मरम्मत करना शुरू की है। सिटी सेंटर में आयकर भवन के पीछे सड़क पर आधा-आधा फीट के गड्ढों को भरने के लिए बुधवार की सुबह गिट्टी-मुरम से भरकर वाहन पहुंचे। उन्होंने कुछ गड्ढों को तो भरा पर कुछ को छोड़ दिया है। इन गड्ढों में गिट्टी और मुरम डाली गई है जब उस पर से होकर वाहन गुजरते ही वह गड्ढों से बाहर निकलकर सड़क पर बिखर गई है। शहर में गैस पाइप लाइन बिछाने के नाम पर सड़कों को उखाड़ दिया है। लेकिन निगम अफसरों का इन सड़कों को तोड़ने वालों पर ध्यान नहीं है। अवंतिका गैस की पाइप लाइन दिनों सिटी सेंटर क्षेत्र में डाली जा रही है। जिसने जगह जगह सड़क को खोद दिया है। नियमानुसार 15 दिन में सड़क की मरम्मत करना होती है लेकिन कंपनी सड़क खोदकर छोड़ गई और निगम अफसर आंख मूंदकर बैठे हुए हैं, जबकि सड़क की खोदाई करने वाली कंपनी से निर्धारित सीमा में मरम्मत का काम कराना चाहिए। बेमौसम वर्षा का पानी इन दिनों शहरवासियों की परेशानी बढ़ा रहा है। सड़क के गड्ढों में वर्षा का पानी भरन से कीचड़ हो रखा और खुले प्लाट में पानी भरने से मच्छर पैदा होने का खतरा बढ़ गया है। इसी तरह शहर के कई पार्कों में वर्षा का पानी भरा हुआ है, जो आमजन के लिए मुसीबत का काम करने वाले हैं क्योंकि इससे बीमारी फेल सकती हैं और डेंगू मलेरिया का प्रकोप बढ़ सकता है। लेकिन इस पर निगम अफसरों का ध्यान नहीं है। इसलिए ना तो दवा का छिड़काव किया जा रहा है और प्लाट व पार्कों से पानी की निकासी की जा रही है।

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