राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि I वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अगले महीने से सब्जियों की नई फसल आने से कीमतें कम हो सकती हैं। वहीं क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों पर अधिकारी ने कहा कि यह चिंता की बात है, लेकिन कीमतें अभी भी टोलरेटेबल जोन यानी (90 डॉलर/बैरल) के नीचे है और उत्पाद शुल्क में कटौती का कोई प्लान नहीं है।
जुलाई में फुटकर यानी रिटेल महंगाई RBI के 6% की ऊपरी टॉलरेंस लिमिट के पार निकलकर 7.44% पर पहुंच गई है। महंगाई का यह 15 महीने का उच्चतम स्तर भी है। इससे पहले अप्रैल 2022 में महंगाई 7.79% रही थी। खाने-पीने का सामान खासकर सब्जियां महंगी होने के कारण महंगाई बढ़ी है। जून में फुटकर महंगाई 4.81% रही थी।
जुलाई में, सब्जियों की टोकरी में वार्षिक फुटकर महंगाई 37.44%, मसालों में 21.63%, दालों और प्रोडक्ट्स में 13.27% और अनाज और प्रोडक्ट्स में 13% थी।
क्रूड ऑयल की कीमत 85 डॉलर/बैरल
क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों पर वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि बजट कैलकुलेशन में कच्चे तेल की कीमतें शामिल नहीं है। क्योंकि, सरकार ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को सब्सिडी नहीं देती है। इसलिए इसमें उतार चढ़ाव होने से फिस्कल कैलकुलेशन में कोई अंतर नहीं होता है। कच्चे तेल की कीमतें फिलहाल 85 डॉलर/बैरल के आसपास है, जबकि बजट के समय यह 70-73 डॉलर/बैरल थी।
अधिकारी ने बताया कि क्रूड ऑयल की प्राइस टॉलरेट करने की लिमिट 90 डॉलर/बैरल के नीचे है, लेकिन इसके चलते पॉलिसी एडजस्टमेंट नहीं किया जा सकता है। 90 डॉलर/बैरल के पार जाने पर इसका इन्फ्लेशन पर असर पड़ेगा।
पेट्रोल-डीजल पर भी उत्पाद शुल्क में कटौती नहीं
पेट्रोल-डीजल के उत्पाद शुल्क में भी किसी कटौती से इनकार करते हुए अधिकारी ने बताया वित्त मंत्रालय अभी इस पर विचार नहीं कर रही है।
महंगाई को लेकर चिंता और अनिश्चितता बरकरार
जुलाई में हुई मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग की जानकारी देते हुए RBI गवर्नर ने कहा था कि महंगाई को लेकर चिंता और अनिश्चितता अभी भी बरकरार है। RBI के अनुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में महंगाई 4% के ऊपर ही रहने की संभावना है। RBI ने महंगाई अनुमान को FY24 में 5.1% से बढ़ाकर 5.4% कर दिया है।