राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। ओडिशा के बालासोर में ट्रिपल टेन एक्सीडेंट को चार महीने हो चुके हैं। इस हादसे में 297 लोगों की मौत हुई थी। जिसमें 269 शवों को उनके घरवाले ले गए। अभी 28 शव ऐसे हैं जिन्हें लेने कोई नहीं आया।
अब इन लावारिस शवों के दाह संस्कार का जिम्मा भुवनेश्वर नगर निगम (BMC) को सौंपा जा रहा है। BMC के अधिकारियों ने रविवार से 28 अज्ञात शवों को डिस्पोज ऑफ करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नगर निगम ने इन शवों को वैज्ञानिक तरीके से डिस्पोज ऑफ करने के लिए एक SOP जारी की है।
CBI अधिकारियों की मौजूदगी में निगम को सौंपे जाएंगे शव
BMC मेयर सुलोचना दास ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा- शवों को CBI अधिकारियों की मौजूदगी में निगम को सौंप दिया जाएगा। हम मंगलवार को दाह संस्कार की योजना बना रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि ट्रेन दुर्घटना की जांच कर रही CBI ने खुर्दा जिला कलेक्टर को लेटर लिखकर शवों को डिस्पोज ऑफ करने को कहा था। जून में हुई दुर्घटना के बाद से शव एम्स भुवनेश्वर में रखे गए थे। BMC की तरफ से जारी SOP के मुताबिक, पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी।
एम्स भुवनेश्वर में 162 शव रखे गए थे और उनमें से 81 को मृतकों के परिवार को सौंप दिया गया था। बाद में, DNA टेस्ट के बाद अन्य 53 शव परिवार के सदस्यों को दे दिए गए, लेकिन 28 डेडबॉडी को लेने कोई नहीं आया। शवों को पारादीप पोर्ट ट्रस्ट से खरीदे गए कम से कम पांच डीप फ्रीजर कंटेनरों में रखा गया था।
ऐसे हुआ था हादसा
2 जून की शाम को चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस मेन लाइन की बजाय लूप लाइन में चली गई, जहां मालगाड़ी खड़ी थी। ट्रेन मालगाड़ी से टकरा गई। कोरोमंडल और मालगाड़ी की कुछ बोगियां बगल के ट्रैक पर बिखर गईं।
इसके थोड़ी देर बाद ही ट्रैक पर बिखरे डिब्बों से हावड़ा-बेंगलुरु एक्सप्रेस टकरा गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, हादसे में 293 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए।
हादसे में CBI की चार्जशीट में तीन रेलवे अफसरों के नाम हैं। तीनों पर गैर-इरादतन हत्या और सबूत मिटाने के आरोप हैं। इनमें सीनियर सेक्शन इंजीनियर अरुण कुमार मोहंता, सेक्शन इंजीनियर मोहम्मद आमिर खान और टेक्नीशियन पप्पू कुमार शामिल हैं। 7 जुलाई को CBI ने तीनों आरोपियों को अरेस्ट किया था। 11 जुलाई को कोर्ट ने इन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
चार्जशीट में जिन तीन रेलवे अफसरों के नाम हैं उनके बारे में CBI ने जुलाई में कहा था कि तीनों जानते थे कि उनकी लापरवाही से बड़ा हादसा हो सकता है।
दुर्घटना की जांच कर रहे रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) ने जुलाई के शुरुआती हफ्ते में हादसे के लिए सिग्नलिंग विभाग के कर्मचारियों की मानवीय भूल को जिम्मेदार ठहराया था।
बिना अप्रूवल पटरी रिपेयरिंग की वजह से हादसा हुआ
CBI ने भुवनेश्वर की स्पेशल कोर्ट में 24 अगस्त को अपनी रिपोर्ट पेश की थी। इसमें जांच एजेंसी ने बताया कि पटरी पर बिना अप्रूवल हो रहे मरम्मत कार्य की वजह से ट्रेन हादसा हुआ था।
इससे पहले बहनागा बाजार स्टेशन के लेवल क्रॉसिंग गेट नंबर 94 पर बिना मंजूरी के मरम्मत का काम किया गया था। CBI ने कहा कि सीनियर डिविजनल सिग्नल और टेलिकॉम इंजीनियर की मंजूरी के बिना ही वहां रिपेयरिंग वर्क हुआ था। इसके लिए सर्किट डायग्राम भी पास नहीं कराया गया था।