राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि इंदौर। सियासत में अंदाजे बहुत लगाए जाते हैं। धरातल से दूर, हकीकत से परे सपनों की एक अलग ही दुनिया बनती है… बिगड़ती है, लेकिन जब हकीकत सामने आती है तो वही स्थिति होती है जैसे रोशनी के आते ही अंधेरा दूर हो जाता है। कुछ यही इंदौर में भाजपा की राजनीति में हो रहा था। लोकसभा प्रत्याशियों की पहली सूची में इंदौर का नाम नहीं होने के बाद तर्क के साथ संभावनाएं जताई जा रही थी कि यहां बदलाव होगा। कोई महाराष्ट्रीयन चेहरे के सामने आने के तर्क दे रहा था तो कोई केंद्रीय मंत्री के इंदौर से चुनाव लड़ने के दस कारण गिनाकर अपनी बात को सही साबित करने में जुटा था। इस कश्मकश के बीच वर्तमान सांसद शंकर लालवानी निश्चिंत होकर इंदौर के कार्यक्रमों में पहुंच रहे थे। कारण साफ था जब सियासत नए चेहरों को लेकर कयास लगा रही थी तब लालवानी टिकट की रेस जीत चुके थे। इंटरनेट मीडिया के दौर में सूचना से लेकर सनसनी तक और मजेदार चुटकियों से लेकर चुनावी सूचियों तक सबकुछ मोबाइल की स्क्रीन पर होता है। कांग्रेस नेताओं के भाजपा में जाने से फिलहाल जो स्थिति बन रही है उस पर इंटरनेट मीडिया के विभिन्न माध्यमों पर खूब मीम्स और चुटकियां ली जा रही हैं। हाल ही में कांग्रेस के दो पूर्व विधायक संजय शुक्ला और विशाल पटेल भाजपा में शामिल हो गए। इंदौर शहर की पूर्व महिला अध्यक्ष रही नेत्री ने भी कमलनाथ का दल छोड़कर कमल दल चुन लिया। इसके बाद महू क्षेत्र में कांग्रेस का मजबूत नाम रहे नेताजी के भी भाजपा में जाने की सूचना वायरल होने लगी। इन सबके बीच एक मीम्स पर भाजपाई देर तक ठहाके लगाते रहे। इसमें कुछ कांग्रेस नेताओं के चित्र के साथ उन्हें यह कहते बताया गया कि आखिरी में जो भी जाए कार्यालय का ताला लगाकर जाए।