राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि | शास्त्रों की मान्यता के अनुसार रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। इस दिन भगवान सूर्य की उपासना करने पर शीघ्र ही उनकी कृपा प्राप्त होती है। रविवार के दिन भक्ति भाव से किए गए पूजन से प्रसन्न होकर सृष्टि के प्रत्यक्ष देवता सूर्यदेव अपने भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। प्रत्येक रविवार, सप्तमी तिथि, सूर्य संक्रांति या नित्यप्रति सूर्य की उपासना का विधान शास्त्रों में बताया गया है। प्रातःकाल नहाकर उगते हुए सूर्य को जल देने के लिए तांबे के लोटे में जल, लालचन्दन, चावल, लालफूल और कुश डालकर प्रसन्न मन से सूर्य की ओर मुख करके कलश को छाती के बीचों-बीच लाकर सूर्य मंत्र का जप करते हुए जल की धारा धीरे-धीरे प्रवाहित कर भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर पुष्पांजलि अर्पित करना चाहिए। इस समय अपनी दृष्टि को कलश की धारा वाले किनारे पर रखेंगे तो सूर्य का प्रतिबिम्ब एक छोटे बिंदु के रूप में दिखाई देगा एवं एकाग्रमन से देखने पर सप्तरंगों का वलय नजर आएगा। अर्घ्य के बाद सूर्यदेव को नमस्कार कर तीन परिक्रमा करें
सूर्य भगवान के 12 मंत्रों का जाप करें
ॐ सूर्याय नम:
ॐ भास्कराय नम:
ॐ रवये नम:
ॐ मित्राय नम:
ॐ भानवे नम:
ॐ खगय नम:
ॐ पुष्णे नम:
ॐ मारिचाये नम:
ॐ आदित्याय नम:
ॐ सावित्रे नम:
ॐ आर्काय नम:
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
सूर्य नारायण के इन मंत्रों का जप करने से घर में जीवन भर सुख, समृद्धि बनी रहेगी और परिवार के लोगों को अच्छी सेहत का वरदान भी मिलेगा। इसके अलावा जीवन में आने वाले कष्टों से छुटकारा भी मिलेगा।