ओमिक्रॉन से लड़ने के लिए MP लाई गई एक और दवाई ‘मोलनुपिराविर’ , एक्सपर्ट बोले- ओमिक्रॉन के शुरुआती सिम्प्टम्स में कारगर

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राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। मध्यप्रदेश में कोरोना से लड़ने के लिए एक और दवा आ चुकी है। ‘मोलनुपिराविर’ नाम की इस दवा को केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद पहली बार इंदौर स्टॉक पहुंचा या गया है। एक्सपर्ट का दावा है कि नई दवा ओमिक्रॉन पर भी कारगर है। इसे कोरोना के शुरुआती लक्षणों के दौरान दिया जा सकता है। दवा 70 से 80 प्रतिशत तक इलाज में प्रभावी है।
पिछले साल अप्रैल-मई में कोरोना की दूसरी लहर के बीच रेमडेसिविर, फेबिफ्लू समेत दूसरी दवाओं की मारामारी थी। इन दवाओं की कालाबाजारी भी की गई थी। तीसरी लहर के बीच सरकार का दावा है कि कोरोना से लड़ने के लिए पर्याप्त दवा उपलब्ध है। दो दिन पहले ही ‘मोलनुपिरावीर’को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन से मंजूरी मिल गई है। मंजूरी के बाद दवा को देश के सभी हिस्सों में सप्लाई कर दिया गया है।

मोलनुपिराविर’ मूल रूप से इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए विकसित की गई थी। यह पहले से बनी एंटीवायरल दवा है। COVID-19 वाले एडल्ट पेशेंट के इलाज के लिए भारत में उपयोग के लिए दवा को हाल में सरकार ने मंजूरी दी है।

इंदौर के दवा बाजार में 500 से ज्यादा थोक दवा विक्रेता है कि वर्तमान में एक बोतल में 40 कैप्सूल हैं। इसकी कीमत करीब 2500 रुपए है। वर्तमान में तीन कंपनियां इसका प्रोडक्शन कर रही हैं। इनमें हेड्रो, नेटको और जॉर्ज हैं। वर्तमान में इंदौर में पांच बड़े डिस्ट्रीब्यूटर हैं। सरकार की मंजूरी के बाद पहला स्टॉक इंदौर पहुंचा है। दवा बाजार में इसकी 500 से ज्यादा बोतलें मौजूद हैं। अभी इन दवाओं की डिमांड केवल कुछ अस्पतालों द्वारा ही की जा रही है।बवैक्सीन हब के संचालक मनोज जायसवाल बताते हैं कि पिछले साल जिस तरह से रेमडेसिविर को लेकर मारामारी थी। इस बार सभी वैक्सीन व्यापारियों के पास भरपूर स्टॉक है, लेकिन अब तक अधिक डिमांड नहीं आई है। कंपनियों के पास भी रेमडेसिविर का स्टॉक है।

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